SPEAK THIS I CAN DO IT

जिला कुरुक्षेत्र के बारेमें विस्तृत जानकारी (कुरुक्षेत्र) KURUKSHETR-- https://akponlinestudy.blogspot.com/


   (कुरुक्षेत्र)                           



 पुराना नाम -थानेश्वर                 
                                               
                  
 स्थापना:23/01/1973

AKP ONLINE STUDY ON YOUTUBE :::: https://www.youtube.com/channel/UCves9SV-tIA-YOm7oWcU5HQ?view_as=subscriber
                          

          कुरुक्षेत्र जिले को 23 जनवरी, 1973   को करनाल से अलग करके बनाया गया।
* क्षेत्रफल - 1530 वर्ग km 
*  जनसंख्या - 9,94,231  
* लिगानुपात - 889/1000  
* साक्षरता - 76%  
* प्रमुख नगर - थानेसर, लाडवा, पेहोवा, शाहबाद व बबैन।
* उपमंडल - थानेसर, पेहोवा, शाहबाद
* तहसील - थानेसर, पेहोवा व शाहबाद
* उप-तहसील - लाडवा, इस्माइलाबाद, बबैन
* खंड - लाडवा, पेहोवा, शाहबाद, थानेसर, बबैन व इस्माइलाबाद
      

कुरुक्षेत्र के नाम से संबंधित तथ्य:-

                                            कुरुक्षेत्र का नाम कुरुक्षेत्र राजा कुरु के नाम पर पडा था। छठी सदी के आसपास कुरुक्षेत्र को श्रीकंठ जनपद कहा जाता था। यह नाम 'नाग वंश' के शासक ने दिया था। इसका वर्णन बाणभट्ट की पुस्तक हर्ष चरित्र में भी मिलता है।
* आईने अकबरी के अनुसार इस जगह का प्राचीन नाम थानेश्वर था। 
* वामन पुराण के अनुसार कुरुक्षेत्र को पांडव वन, सूर्य वन, आदित्य वन व शांति वन के नाम से भी जाना जाता था।
* महाभारत का प्रसिद्ध युद्ध लगभग 900 से 950 ईसवी पूर्व में इस क्षेत्र में लडा गया था और लगभग 18 दिन तक चला।

धर्मनगरी कुरुक्षेत्र का इतिहास  ⇉ 

कुरुक्षेत्र महाभारत युद्ध एवं श्रीमद्भगवद्गीता के जन्म स्थल के रूप में विशेष रुप से विख्यात है। इतिहास मे इस नगरी की गणना उन नगरों में की जाती है जिन्हे प्राचीन भारत में राजधानी होने का गौरव प्राप्त था। यह श्रीकंठ जनपद की राजधानी थी। शक्तिशाली वर्धन वंश का उदय यही हुआ था। जिसमें दो प्रतापी शासकों, प्रभाकर वर्धन और हर्षवर्धन के समय यह नगर गौरव के उच्चतम शिखर को स्पर्श कर रहा था



FOR ANY QUERY FOLLOW ME ON FACEBOOK
      https://www.facebook.com/akponlinestudy/  

 लेकिन हर्षवर्धन को तत्कालीन राजनीतिक पराजय स्थतियों के कारण अपनी राजधानी कान्यकुब्ज अथवा कन्नोज बनानी पडी थी। स्थानिश्वर नगर का गौरवपूर्ण इतिहास हर्ष चरित्र चीनी यात्री ह्वेनसांग के वृतांत और मुस्लिम इतिहासकारों के विवरण तथा ग्रंथों से हमें ज्ञात होता है। 7 वीं शताब्दी में हर्षवर्धन  ने थानेसर को अपनी राजधानी बनाया था। हर्षवर्धन के शासनकाल में चीनी यात्री हेनसांग यहां पर आया था। उन्होंने अपनी पुस्तक 'सि.यू.सी' में थानेश्वर का वर्णन किया है। हेनसांग 635-644 ईसवी तक थानेश्वर में ही रहा था।
महत्वपूर्ण  पर्यटक स्थल  ⇉ 

 ➧  भोरसैदा -  यह जगह कुरुक्षेत्र से लगभग 13 किलोमीटर दूर लगभग 8 एकड क्षेत्र में बनी मगरमच्छों की वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है। 


➧ ज्योतिसर सरोवर - यह पर्यटन स्थल कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन से 8 किलोमीटर दूर पेहोवा मार्ग पर सरस्वती नदी के किनारे स्थित है। यहां एक सरोवर है जिसमें यात्रियों के स्नान करने के लिए नर्मदा नहर से निरंतर ताजा जल उपलब्ध होता रहता है। यहां एक वट वृक्ष है जिसके बारे में मान्यता है कि इसी वटवृक्ष के नीचे श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था तथा अपना विराट रूप धारण करके दिखाया था। वटवृक्ष के नीचे जो चबूतरा है उसका निर्माण सन 1924 ईस्वी में महाराजा दरभंगा ने करवाया था तथा ईसका पुनः निर्माण कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के द्वारा किया गया था।



 ब्रह्म सरोवर - यह तीर्थ कुरुक्षेत्र में थानेसर सिटी स्टेशन के समीप स्थित है । इसे कुरुक्षेत्र सरोवर भी कहते हैं। माना जाता है कि इस सरोवर को राजा कुरु ने खुदवाया था। अलबरूनी द्वारा लिखी गई किताब 'उल हिन्द' में ब्रह्मसरोवर का वर्गन है। हरियाणा में यह नहाने का सबसे बडा तालाब है। 1850 में इसे थानेश्वर के जिलाधीश लऱकीन ने पुनः खुदवाया था। यहां पर महाभारत थीम बिल्डिंग भी बन रही है। 



JOIN ME ON TELEGRAM  https://t.me/akponlinestudy

मत्स्य पुराण के अनुसार थानेश्वर का ब्रह्मसरोवर तीनों लोकों का पुण्यदायक तीर्थ स्थल है। ब्रह्मसरोवर का वर्तमान स्वरूप गुलजारीलाल नंदा के द्वारा बनाया गया है।

➧ गीता भवन - यह स्थान ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट से कुछ दूरी पर स्थित है। मध्य प्रदेश के महाराजा ने सन 1921 ईस्वी में इसकी स्थापना कुरुक्षेत्र पुस्तकालय के नाम से की थी।

 श्री शनि धाम - यह धाम कुरुक्षेत्र-दिल्ली मार्ग पर कुरुक्षेत्र के उमरी चौक पर बना है। इस धाम में शनि देव की प्रतिमा प्रथम तल पर स्थापित की गई है। इस प्रतिमा के साथ ही नौ ग्रहों की प्रतिमाएँ भी स्थापित की गई हैं।
➧ कालेश्वर तीर्थ - जनश्रुति के अनुसार रामायरण काल में यहां रुद्र की प्रतिष्ठा की गई थी। पुराणोक्त 11 रुद्रों में से यह एक रूद्र है। यहां भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है।

➧ बिरला मंदिर - यह मंदिर कुरुक्षेत्र-पिहोवा मार्ग पर ब्रह्म सरोवर के समीप स्थित है।



 इस मंदिर का निर्माण भी जुगल किशोर बिरला ने वर्ष 1955 में करवाया था और इसका नाम भगवद गीता मंदिर रखा दिया गया। इस मंदिर की दीवारों पर गीता श्लोक लिखे गए हैं।

  स्थानेश्वर महादेव मंदिर - थानेश्वर नगर के उत्तर में कुछ मीटर की दूरी पर सम्राट हर्षवर्धन के पूर्वज राजा पुष्य्भुती द्वारा निर्मित स्थानेश्वर महादेव मंदिर सुविख्यात है। 



यही वह स्थान है जहां पांडवों ने भगवान शिव से प्राथना की थी और उनसे महाभारत के युद्ध में विजय का आशीर्वाद प्राप्त किया था। इस मंदिर का  निर्माण पुष्यभूती ने करवाया था तथा इसका पुन:निर्माण सदाशिव  मराठा ने करवाया था।

➧ श्री कृष्ण संग्रहालय - श्री कृष्ण संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1991 में कुरुक्षेत्र में ही की गई थी।

  सर्वेश्वर महादेव मंदिर - कुरुक्षेत्र के प्रमुख मंदिरों में से यह एक प्रमुख मंदिर है। सर्वेश्वर  महादेव का मंदिर ब्रह्मा सरोवर पर उत्तर की ओर एक टापू पर स्थित है। इस मंदिर के चारों ओर जल भरा रहता है तथा यहां पहुंचने का साधन एक छोटा सा पुल है।

➧  मार्कंडेश्वर देवी मंदिर, गुमटी - 27 मार्च 1937 को पाकिस्तान के जिला शेखुपुरा के गांव भिखी में करमचंद व सुहांगवती के घर बाजिका प्रकाशवति ने जन्म लिया। उसका मन बचपन से ही भगवत भक्ति में रंग गया। भारत विभाजन के पश्चात प्रकाशवती के पिता करमचंद अपने पूरे परिवार सहित पाकिस्तान से आकर हरियाणा में बस गए। कुरुक्षेत्र के गांव गुमटी में रहते हुए वर्ष1953 से प्रकाशवती ने मार्कंडेश्वर देवी मंदिर की स्थापना की।
AKP ONLINE STUDY OFFICIAL
https://akponlinestudy.blogspot.com/

 शेखचिल्ली का मकबरा - थानेश्वर नगर के उत्तर पश्चिम छोर पर संगमरमर से बना हुआ यह एक बहुत खूबसूरत मकबरा है। यह मकबरा सूफी संत शेख चिल्ली का है, 

जो मुगल सम्राट शाहजहाँ के शासनकाल में ईरान से चलकर भारत में हजरत कुतुब अलाउद्दीन से मिलने थानेसर आए थे। उन्होंने यहां अलाउद्दीन से भेंट की I दुर्भाग्य से शेखचचल्ली की मृत्यु थानेसर में ही हो गई और उन्हें यहां दफना दिया गया। शेखचचल्ली, दारासिकोहा का धर्मगुरु था तथा इस मकबरे का निर्माण शाहजहाँ ने करवाया था। शेखचिल्ली का वास्तविक नाम रोशन अख्तर था। इसे हरियाणा का ताजमहल भी कहा जाता है। इनकी पत्नी का मकबरा भी इसके पास ही स्थित है।

 बाबा काली कमली वाले का डेरा -  यह डेरा श्री स्वामी विशुद्धानंद जी महाराज द्वारा स्थापीत किया गया है। यहां पर भगवान शंकर, श्री कृष्ण तथा अर्जुन की प्रतीमाएं विराजमान  है।
बाणगंगा - यह कुरूक्षेत्र के थानेश्वर ज्योतीसर मार्ग पर नरकासारी गांव के निकट से निकलती है। जिसे नकरकातारी तीर्थ भी कहा जाता है। महाभारत में अर्जुन ने यहां पर तीर मारकर गंगा निकाली थी तथा जलधारा शर-शस्य पर लेटे भीष्मपितामह के मुंह में पहुंची थी।

 प्राची तीर्थ - कहा जाता है कि इस स्थान पर तीन रात्री रहकर व्रत करने से शरीर के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं।

➧ अपाया - यह अती प्राचीन तीर्थ स्थल अपाया नदी के तट पर स्थित  है। इस नदी में स्नान कर और माहेश्वर की पूजा करने से मनुष्य परमगति को प्राप्त हो जाता है।
➧ देवीकूप मंदिर (भद्रकाली मंदिर) - यह मंदिर भद्रकाली या सती को समर्पित है तथा भद्रकाली मंदिर 52 शक्तिपीठो  मे से   एकमात्र शक्तिपीठ है व यहा माता के 52 खंडों में से एक खंड है। यहां पर लोग सोना-चांदी के घोडे चडाते हैं।



  लाडवा - यह नगर सिखों के घरानों का माना जाता है। सिखों के प्रथम युद्ध के पश्चात ही अंग्रेजो ने इसे अपने अधिकार में ले लिया था। कुरुक्षेत्र जिले की यह सबसे अधिक प्राचीन नगरपालिका है। जिसकी स्थापना 1867 में की गई थी। लाडवा का विद्रोह 1845 में हुआ जिसका नेतृत्व अजीत सिह ने किया था।

➧ यहां पर इंदिरा गांधी नेशनल कॉलेज भी स्थापित है। इसकी स्थापना 1975 में की गई थी। o हरियाणा की ही नहीं बल्की एशिया की दूसरी सबसे बडी अनाज मंडी कुरुक्षेत्र के लाडवा में स्थित है। o पहली मंडी है - चीन में।
➧ पिहोवा:-  एसा कहा जाता है कि राजा प्रभु ने अपने पिता वेणु का तर्पण किया था। यह जगह वर्तमान में पिहोवा के नाम से प्रसिद्ध है। 

सन्निहित तीर्थ:- यह तीर्थ श्री कृष्ण संग्रालय के पास  स्थित हे इसके बारे मे मान्यता  है कि  यहां पर सात सरस्वती नदियाँ मिलती हैं। सन्निहित सरोवर को भगवान विष्णु का स्थाई निवासी माना जाता है।
 
 कुबेर तीर्थ:-  यहां कुबेर ने यगों का आयोजन भी किया था तथा यहां चैतन्य महाप्रभु की कुटीया भी विद्यमान है। 
 
➧ गौडीय मठ -  यहां पर बंगाली साधु रहते हैं जो हरे कृष्ण नाम का कीर्तन करते हैं। यहां राधा-कृष्ण की मूर्तियाँ भी स्थित हैं। 

 चन्द्र्कुप:-  महाभारत कालीन इस कुप का निर्माण युधीष्ठर ने करवाया था। 

 क्मोधा तीर्थ:-  कुरुक्षेत्र में स्थित इस वन का संबंध काम्यक वन से है। पांडवों ने इसी वन में निवास किया था। यहां कामेश्वर महादेव का ईटों का मंदिर तथा मठ है। यहां ईटों का एक छोटा सा भंडार है जहां द्रौपदी ने पांडवों के लिए खाना बनाया था। 
 
➧ कमलनाथ तीर्थ:-   ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के सर्जनकरता ब्रह्मा जीसी स्थान से प्रकट हुए थे। 

 वाल्मीकी आश्रम:-  इस स्थल पर बाबा लक्ष्मीगिरी महाराज ने जीवित समाधि लि थी यहां गिरी महाराज की समाधि, मंदिर' एवं वाल्मीकि का मंदिर भी है।

 गुरुद्वारा नौवी पातशाही:-  यह गुरु तेग बहादुर की याद में बनाया गया हे  

➧ गुरुद्वारा छठी बादशाही:-  यह गुरुद्वारा सन्निहित सरोवर के नजदीक स्थित है।
  
➧ कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड:-  स्वर्गीय श्री गुलजरीलाल नंदा के प्रयासों से 1 अगस्त 1968 को कुरुक्षेत्र मे तीथों के विकास के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड  स्थापना भी कि गई। जिसके अध्यक्ष गुलजारीलाल नंदा थे और उपाध्यक्ष बंसीलाल थे। 
➧ कुरुक्षेत्र में सन 1989 में प्रथम बार "गीता जयंती उत्सव" मनाया गया। 
 सन् 1992 में "गीता जयंती" समारोह का गठन भी किया गया। 
 सन 2012 में कुरुक्षेत्र में धार्मिक स्थलों के आस-पास मदीरा बेचने पर रोक लगाई गई। 
 कुरुक्षेत्र में बार-बार लडाई का कारण "मैय" नामक राक्षस के दुष्प्रभाव को माना जाता था। 
 यह हरियाणा का एकमात्र ऐसा जिला है जिसके स्वयं के नाम पर विधानसभा सीट नहीं है।
 मगरमच्छ प्रजनन केंद्र - भौर-सैदा 
छिलछिला वनय जीव अभ्यारण- कुरुक्षेत्र (छिलछिला में सियोनथी नामक जंगल भी है।) ब्लैकबक प्रजनन केंद्र - पीपली  
यहां पर शाहबाद चीनी मील की स्थापना सन 1984 से 1985 के बीच में हुई थी।  
➧ कुरुक्षेत्र में आकाशवाणी केंद्र - 27 जून 1991 को शुरू हुआ था।
  रोहतक में - 8 मई 1976 
 हिसार में - 26 जनवरी 1999 
➧ यहां पर पुरषोंतम बाग भी स्थित है। 
➧ विस्वामित्र का टीला भी स्थित है।  
➧ विशिष्ट ऋषि का आश्रम 
➧ ययाति  ऋषि का आश्रम  
➧ दधीचि ऋषि का आश्रम  
➧ लक्ष्मी नारायण मंदिर

 शाहबाद -  यह नगर  जि टी रोड पर कुरुक्षेत्र से 23 किलोमीटर की दूरी पर मारकंडा नदी के किनारे बसा हुआ है। यह कस्बा बादशाह अकबर के शासनकाल में इसी नाम के परगने का मुख्यालय था। इसी स्थान पर महर्षि मारकंडेश्वेर की तपस्या स्थली भी है, जो बाद में शाहबाद मारकंडा के रूप में प्रशिद्ध हुई।

➧ गुलजारीलाल नंदा संग्रहालय - यह संग्रहालय कुरुक्षेत्र में 1998 बनाया गया।

 यह हरियाणा का पहला संग्रहालय है जहां पर गुलजारीलाल नंदा की समाधि बनाई गई है।  

➧ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय - कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा की सबसे पहली यूनिवर्सिटी मानी जाती है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की स्थापना राज्य विधानसभा के एक्ट 12 एफ 1956 के तहत हुई थी I 11 जनवरी, 1956 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने

                                                               
                                     

इस विश्वविद्यालय की निव रखी थी। राजेन्द्र प्रसाद जी को गांधी ने देश रतन आजाद शत्रु भी कहा है। प्रारंभ में इसे यूनिटरी टीचिग और रेजिडेंशियल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला था किन्तु अपने अस्तित्व के 5 वर्ष के बाद यह बहुसंकाय विश्वविद्यालय  के रुप में स्थापित हुई। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की शुरुआत केवल संस्कृत विभाग के साथ हुई थी। 
 इस विद्यालय ने दो पत्रिकायें निकाली।
 1. कलानिधि पत्रिका - 1965 
2. रिसर्च जनरल - 1967
 राष्ट्रिय प्रोद्योगिकी संस्थान (एन.आई.टी)-  
राष्ट्रिय प्रोद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र, भारतवर्ष के 20 संस्थानों में से एक है। पहले यह एक रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज था। 26 जून 2002 को भारत सरकार द्वारा इस संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया। इसको 30 दिसंबर सन 2008 में NIT बनाया गया।
➧ महत्वपूर्म इंजीनियरिंग कॉलेज-
1. गीता इंस्टिट्यूट ऑफ़ मनेजमेंट एंड टेक्नोलोजी, गांव-कनिपला
स्थापना वर्ष 2007
2. कुरुक्षेत्र इंस्टिट्यूट ऑफ़ मनेजमेंट एंड टेक्नोलोजी, गांव-भोरसैंदा
स्थापना  वर्ष 2007
3. श्री कृष्णा इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी,
स्थापना  वर्ष 1997
4. टेक्नोलोजी एजुकेशन एंड  रिसर्च इंस्टिट्यूट
स्थापना  वर्ष 2007
5.मोडर्न इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी, गांव-मोहरी
स्थापना  वर्ष 2007
6. कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
स्थापना  वर्ष 1956 

➧ कुरुक्षेत्र में लगने वाले प्रमुख मेले-
 1. सूर्यग्रहण मेला 

2. पेहवा मेला 
3. मारकंडा मेला 
4. सोमवती अमावस्या मेला 
5. देवी का मेला 
6. महावीर जयंती का मेला 
➧ कुरुक्षेत्र के कुछ प्रमुख व्यक्ति-

1. रितु रानी - यह शाहबाद से संबंध रखती हैं और 2012-16 तक भारत की हॉकी टीम की कप्तान रही हैं। (अब रानीरामपाल को वर्ल्ड एथलीट ऑफ़ दी ईयर घोषित किया गया हे /) 



2. अमनदीप - स्टील मैन ऑफ इंडीया 
3. मधु शर्मा - यह हरियाणवी रागनी कलाकार हैं। 
4. नवजोत कौर व नवनीत कौर हॉकी खिलाडी हैं।
➧ नदियाँ -  सरस्वती नदी और मारकंडा नदी यहां कि प्रमुख नदियाँ   हैं । हरियाणा में आलू और शकरकंदी का सबसे अधिक उत्पादन कुरुक्षेत्र में होता है।

AKP ONLINE STUDY ON YOUTUBE
https://www.youtube.com/channel/UCves9SV-tIA-YOm7oWcU5HQ?view_as=subscriber
                     


                             THANKS FOR VISITING

Share:

No comments:

Popular Posts

Powered by Blogger.

Find Us On Facebook

Share Us

Search This Blog

Archive

Subscribe Us on YouTube

Find Us On Facebook

Menu - Pages

YOUTUBE

About Me

My photo
Hi students you are visit at right platform for online learning and exam helping strategy.

AKP ONLINE STUDY

AKP ONLINE STUDY

AKP ONLINE STUDY

AKP ONLINE STUDY
BEST PLATFORM FOR COMPETITOR

ANKUSH KUMAR PARJAPATI/AUTHOR

ANKUSH KUMAR PARJAPATI/AUTHOR
TEACHER,GUIDER,MOTIVATOR,DEVLOPER

About Us

Categories

AKP LOGO

AKP LOGO
image

AKP ONLINE STUDY FROM YOUTUBE

Popular Posts

Archive

Recent Posts

Featured Post

अफगानिस्तान :- "साम्राज्यों का कब्रिस्तान"

 जानें कि यह देश क्यों 'साम्राज्यों का कब्रिस्तान' बना हुआ है। अफगानिस्तान :- अफगानिस्तान के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्यों में स...

MOTIVATIONAL QUOTES

A Life of Joy and Happiness
is Possible only on the basis
of Knowledge and Experience