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Human body anatomical view |
प्रत्येक कार्य के लिए कई अंग मिलिकर एक तंत्र बनाते हैं जैसे भोजन के पाचन के लिए पाचनतंत्र (Digestive system), श्वसन के लिए श्वसन तंत्र(Respiratory system)आदि।
रक्त:-
➤मानव शरीर में संचरण करने वाला तरल पदार्थ जो शिराओं के द्वारा हृदय मे जमा होता है और धिमनियों के द्वारा पुन: हृदय से सम्पूर्ण शरीर में परीसंचरीत होता है, रक्त कहलाता है।
रक्त के विमिन्न अवयव:-
(1) प्लाज्मा- यह हल्के पीले रंग का रक्त का तरल भाग होता है, जिसमे 90 प्रतिशत जल, 8 फीसदि प्रोटीन तथा 1 फीसदि लवण होता है।
(2) लाल रक्त कणिकाए - यह गोलाकार, केन्द्रक रहित और हीमोग्लोबिन से युक्त होता है। इसका मुख्य कार्य ऑक्सीजन एवं कार्बन डाईऑक्साइड का संवहन करना है। इसका जीवनकाल 120 दिनों का होता है।
(3) श्वेत रक्त कणिकाए - इसमे हीमोग्लोबिन का अभाव पाया जाता है। इसका मुख्य कार्य शरीर की रोगाणुओं से रक्षा के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढाना होता है। इनका जीवनकाल 24 से 30 घंटे का होता है।
(4) प्लेट्लेट्स- ये रक्त कोशिकाएं केद्र्क रहित एवं अनिश्चित आकार की होती हैं। इनका मुख्य कार्य रक्त को जिमने में मदद करना होता है।
रक्त का कार्य: --
रक्त का कार्य ऑक्सीजन को फेफडे से लेकर कोशिकाओं तक तथा कोशिकाओं से कार्बन डाईऑक्साइड को लेकर फेफडों तक पहुुँचाना होता है। रक्त शरीर के तापक्रम को संतुलित बनाये रखता है। रक्त शरीर में उत्न्न अपशिष्ट व हानिकारक पदर्थों को इकठा करके मुत्र तथा पसीने के रूप में शरीर से बाहर पहुुँचाने का कार्य करता है।
रक्त समूह- रक्त समुह की खोज लेंडस्टीनर ने की थी।
रक्त समूह चार प्रकार के होते हैं- A, B, Ab और O
(1) रक्त समुह AB सर्व प्राप्तकर्ता वर्ग का होता है, अर्थात वह किसी भी व्यक्ति का रक्त ग्रहण कर सकता है।
(2) रक्त सिूह O सर्वदाता वर्ग का होता है। अर्थात वह किसी भी रक्त समुह वाले व्यक्ति को रक्तदान कर सकता है। किन्तु वह सिर्फ O समुह वाले व्यक्ति से ही रक्त प्राप्त कर सकता है
➤शरीर के अंगों को उनकी क्रियाओं के अनुसार कुछ प्रमुख तंत्रों में निम्न प्रकार से विभाजित लिया गया है-
➤पाचन तंत्र ( Digestive system ) - पाचन तंत्र मे मुख, ग्रासनली अमाशय, पक्वाशय, यकृत, छोटी आंत, बडी आंत इत्यादि होते हैं।
पाचन तंत्र मे भोजन के पचने की क्रिया होती है। भोजन मे हम मुख्य रूप से प्रोटीन, काबोहाइ़ड़्रेट और वसा लेते हैं। इनका पाचन पाचन तंत्र में उपस्थित एंजाइम व अम्ल के द्वारा होता है।
➤श्वसन तंत्र (respiratory system)- श्वसन तंत्र में नासा कोटर कंठ, श्वासनलि, श्वसनी, फेंफडे आते हैं।
सांस के माध्यम से शरीर के प्रत्येक भाग में ऑक्सीजन पहुुँचता है तथा कार्बन-डाईऑक्साइड बाहर निकलती है। रक्त श्वसन तंत्र में सहायता करता है। शिराएं अशुद्ध रक्त का वहन करती हैं और धमनी शुद्ध रक्त विभिन अंगो तक पहुुँचाती है।
➤उत्सर्जन तंत्र (Excretory system)
उत्सर्जन तंत्र में मलाशय, फुफ्फुस, यकृत, त्वचा तथा वृक्क होते हैं। शरीरिक क्रिया में उत्पन्न उत्कृष्ट पदार्थ और आहार का बिना पचा हुआ भाग उत्सर्जन तंत्र द्वारा शरीर के बाहर निकलते रहते हैं।
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Excretory system |
मानव शरीर में जो पथरी बनती है वह समान्यता: केल्शियम ऑक्सलेट से बनती है। फुफ्फुस द्वारा हानिकारक गैसें निकलती हैं। त्वचा के द्वारा पसीने की ग्रंथीयों से पानी तथा लवणों का विसर्जन होता है। किडनी में मुत्र का निर्माण होता है।
➤पररसंचरण तंत्र (Circulatory System)- शरीर के विभिन्न भागों में रक्त का विननिमय परीसंचरण तंत्र के द्वारा होता है। रक्त पररसंचरण तंत्र में हृदय, रक्तवाहनियां नलियां (Blooad vessels), धमनी
(Artery), शिराएुँ (veins), केशिकाए (cappilaries) आदि समिलित हैं।
हृदय में रक्त का शुद्धीकरण होता है। हृदय की धडकन से रक्त का संचरण होता है। रक्त संचरण की खोज सन 628 विलियिम हार्वे ने कि थी। समान्य व्यक्ति में एक मिनट में 72 बार हृदय में धकडऩ होती है।
➤अंत:स्त्रावी तंत्र (Endorcine system)- शरीर के विभिन्न भागों में उपस्थित नलिका विहीन ग्रंथियां को अंत:स्रावी तंत्र कहते हैं। इनमे हार्मोन बनते हैं और शरीर की सभी रासायनिक क्रियाओ का नियंत्रण इन्हि हार्मोन द्वारा होता है।
उदाहरण- अवटु ग्रंथर् (thyroid gland), अग्नाशय (Pancreas), पीयूष ग्रंथी (Pituitory Gland), अधिवृक्क (Adrenal gland) इत्यादि। पीयूष ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि भी कहते हैं। यह परावटु ग्रन्थि को छोडकर अन्य सभी ग्रन्थियों को नियंत्रित करती है।
➤कंकाल तंत्र (Skeletal System)- मानव शरीर कुल 206 हड्डियों से मिलकर बना है।
हड्डियों से बने ढांचे को कंकाल-तंत्र कहते हैं। हड्डियों आपस संधियों से जुडी रहती हैं। सिर की हड़्डी को को कपाल गुहा कहते हैं।
➤लसीका तंत्र (Lymphatic System) - लसीका ग्रंथीयां विषेले तथा हानिकारक पदर्थो को नष्ट कर देती हैं और शुद्ध रक्त में मिलने से रोकती हैं। लसीका तंत्र छोटी-छोटी पतलि वाहिकाओं का जाल होता है।
लिम्फोसाइट्स ग्रंथीयां विषैले तथा' हानिकारक पदार्थों को नष्ट कर देती हैं और शुद्ध रक्त को मिलने से रोकती है।
➤त्वचीय तंत्र (Cutaneous System)- शरीर की रक्षा के लिए सम्पूणय शरीर त्वचा से ढंका रहता है।
त्वचा का बाहरी भाग स्तरित उपकला (Stratified epithelium) के कडे स्तरों से बना होता है। बाह्म संवेदनाओं को अनुभव करने के लिए तंत्रिका के स्पर्शकण होते हैं।
➤पेशी तंत्र (Muscular System) - पेशियां त्वचा के नीचे होती हैं। सम्पूर्ण मानव शरीर में 500 से अधिक पेशियां होती हैं। ये दो प्रकार की होती हैं। ऐछिक पेशियां मनुष्य के इच्छानुसार संकुचित हो जाती हैं। अनैछिक पेशियां का संकुचन मनुष्य की इच्छा द्वारा नियंत्रित नहीं होता है।
➤तंत्रिका तंत्र (Nervous System)- तंत्रिका तंत्र विभिन्न अंगों एवं सम्पूर्ण जीव की क्रियाओं का नियंत्रण करता है। पेशी संकुचन, ग्रन्थि स्राव, हृदय कार्य, उपापचय तथा जीव में निरंतर घटने वाली अनेक क्रियाओं का नियंत्रण तंत्रिका तंत्र करता है। इसमें मस्तिष्क, मेरू रज्जु और तंत्रिकाए आती हैं।
➤प्रजनन तंत्र- सभी जीवों में अपने ही जैसी संतान उत्पन्द्न करने का गुण होता है।
पुरुष और स्त्री का प्रजनन तंत्र भिन्न-भिन्न अंगों से मिलकर बना होता है।
विशिष्ट ज्ञानेद्रीय तंत्र (Special Organ System)-
देखने के लिए आुँखें, सुनने के लिए कान, सूुँघने के लिए नाक, स्वाद के लिए जीभ तर् संवेदना के लिए त्वचा ज्ञानेदरियों का काम करती हैं। इनका सम्बंध मष्तिस्क बना रहता है।
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